Gaurav ChaubeyMar 6, 20231 min readवजूद सुखे पत्तों सी हो गई है जिंदगी,किसी ने किताबों में सजा लिया,किसी का प्रेम पत्र बन गया हूं मैं,तो कोई जला कर खुश है मुझे,रंज नहीं जो जुदा हूं अपनी साख से,खुश हूं चाहने वालों का वजूद बन गया हूं मैं- गौरव चौबे
सुखे पत्तों सी हो गई है जिंदगी,किसी ने किताबों में सजा लिया,किसी का प्रेम पत्र बन गया हूं मैं,तो कोई जला कर खुश है मुझे,रंज नहीं जो जुदा हूं अपनी साख से,खुश हूं चाहने वालों का वजूद बन गया हूं मैं- गौरव चौबे
मुस्कुरा तुम देती होयूं रंग भर के खुशियों का, मुस्कुरा तुम देती हो, सुकून दे कर मेरी सुबहों को, रातें चुरा लेती हो, परेशां है दिल मेरा, जब यूं नजरों से नजर...
अंतिम उद्द्घोषविपदा एक ऐसी आयी जिससे हर मानव त्रसत हुआ, मजहब जो एक हमारा था टुकड़ों में बिखरा एक मुकुर हुआ, त्राहि त्राहि कर गिरती लाशों पे सियासती...
Laut jane doGhar se nikla tha zindagi k liye, Chhod kar apno ko rozi roti k liye, Sangharsh ki is utha pahak me.. Chand khusiyan dhundne k liye,...
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