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Writer's pictureGaurav Chaubey

वजूद

सुखे पत्तों सी हो गई है जिंदगी,

किसी ने किताबों में सजा लिया,

किसी का प्रेम पत्र बन गया हूं मैं,

तो कोई जला कर खुश है मुझे,

रंज नहीं जो जुदा हूं अपनी साख से,

खुश हूं चाहने वालों का वजूद बन गया हूं मैं


- गौरव चौबे

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